2 साल के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को विधानसभा की पटल पर Uniform Civil Code Bill (UCC) उत्तराखंड विधेयक 2022 पेश किया I
सदन में समान नागरिक संहिता बिल पेश करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है। सभी धर्म में विवाह तलाक गुजारा भत्ता और विरासत के लिए कानून का प्रावधान है। बेटा-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार देने वाला सहमति संबंधों में पैदा होने वाली संतान को भी संपत्ति का हकदार माना गया है। अनुसूचित जनजाति समुदाय को इससे बाहर रखा गया है I
विधेयक पेश करने के बाद सीएम ने कहा, समान नागरिक संहिता विवाह की धार्मिक मान्यताओं रीति-रिवाज, खान-पान,पूजा,इबादत व वेशभूषा पर असर नहीं पड़ेगा I
Uttarakhand Civil Code लागू हुआ तो क्या होगा
- मुसलमानों को चार शादी करने की छूट नहीं होगी, बिना तलाक दूसरी शादी नहीं होगी।
- सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 लड़कों की 21 साल होगी।
- बाल विवाह पर का पूर्ण प्रतिबंध होगा पुरुष-महिला को तलाक देने का समान अधिकार होगा।
- सभी धर्मों में महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हक मिलेगा।
- बहु विवाह पर रोक पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकती।
- शादी का पंजीकरण अनिवार्य होगा,बिना पंजीकरण के शादी अमान्य होगी।
- शादी के 1 साल तक तलाक याचिका दायर करने की अनुमति नहीं होगी।
- हलाला जैसी प्रथाये खत्म।
महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
बिना सहमति धर्म परिवर्तन पर दूसरे व्यक्ति को उसेसे तलाक व गुजारा भत्ता लेने का हक मिलेगा।
Uttarakhand Civil Code की कुछ प्रमुख बातें -
बेटा-बेटी को मिलेगा बराबर का अधिकार
समान नागरिक संहिता में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार दिए गए हैं।इतना ही नहीं गर्भस्थ बच्चे को भी वसीयत करने वाले व्यक्ति की मृत्यु के समय से ही उसका उत्तराधिकारी माना जाएगा।
समान नागरिक संहिता ने स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत उसकी संपत्ति का उत्तराधिकारी कौन होगा इसमें दो प्रमुख श्रेणी में बांटा गया है।
अब पत्नी भी ले सकेंगी तलाक
समान नागरिक संहिता में पति के साथ पत्नी को भी बराबर का अधिकार दिया गया है। पति की तरह पत्नी चाहेगी तो पति से तलाक ले सकेंगी।तलाक के लिए पति की एक से अधिक पत्नी दुष्कर्म का दोषी होने के साथ ही किसी अन्य के साथ संभोग या लगातार दो वर्ष तक दूरी बनाकर रखना भी आधार बन सकता है।
आपसी सहमति से ऐसे हो सकेगा तलाक
पति पत्नी मिलकर इस आधार पर तलाक की याचिका प्रस्तुत कर सकेंगे कि वह 1 वर्ष या उससे अधिक समय से अलग-अलग रह रहे हैं।वह एक साथ नहीं रह सके हैं I
और वह इस बात पर परस्पर सहमत हो कि विवाह का विघटन किया जाना चाहिए। याचिका प्रस्तुत करने के 6 माह के बाद और उसे तिथि से 18 माह के पूर्व दोनों पक्षकारों की ओर से किए गए प्रस्ताव पर अगर याचिका वापस नहीं ली गई हो तो न्यायालय पक्षकारों को सुनने व जांच के बाद तलाक का आदेश जारी कर देगा।
उत्तराखंड में बन रहा नया कानून संविधान के नजरिये से पूरे देश के लिए नजीर साबित हो सकता है, जिससे प्रेरणा लेकर 'एक देश एक' कानून के तहत समान नागरिक संहिता को पूरे देश में लागू करने की जरूरत है।
संविधान के प्रावधानों को साकार करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने समान नागरिक संहिता पर कानून बनाने की ऐतिहासिक पहल की है संविधान की शुरुआत सत्यमेव जयते से होती है जहां सारनाथ का सिंह कानून के शासन के महत्व को दर्शाता है।
समान नागरिक संहिता से महिलाओं को ज्यादा लाभ मिलेगा
समान नागरिक संहिता में जो प्रावधान किए गए हैं, उनसे सबसे अधिक महिलाओं को लाभ होगा। जाति धर्म से इतर महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त होंगे। कृषि भूमि में भी महिलाओं को बराबरी का हिस्सा मिलेगा। धर्म विशेष की महिलाओं की विवाह, विवाह विच्छेद वह बच्चों को गोद लेने की स्वतंत्रता भी मिलेगी।इसके अलावा विवाद के बगैर ही समाज में सहवासी के रूप में रहने वाले नागरिकों के पंजीकरण से उनसे पैदा होने वाली संतानों को सामाजिक व विधिक संरक्षण मिलेगा।
लिव इन के विवाद होंगे कम
सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। इसमें वर्ग विशेष की महिलाओं को लाभ मिलेगा। सबसे अच्छी बात है कि लिविंग रिलेशनशिप का भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है। ऐसे में इस तरह के रिश्तों की बाद जो विवाद होते थे उनमें कमी आएगी। इस रिश्ते से यदि कोई संतान होती है तो उसे भी हक मिलेगा।
FAQ
Q.1 समान नागरिक संहिता किन पर लागू होगा ?
उत्तराखंड में बन रहा नया कानून संविधान के नजरिये से पूरे देश के लिए नजीर साबित हो सकता है, जिससे प्रेरणा लेकर 'एक देश एक' कानून के तहत समान नागरिक संहिता को पूरे देश में लागू करने की जरूरत है।
संविधान के प्रावधानों को साकार करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने समान नागरिक संहिता पर कानून बनाने की ऐतिहासिक पहल की है संविधान की शुरुआत सत्यमेव जयते से होती है जहां सारनाथ का सिंह कानून के शासन के महत्व को दर्शाता है।
समान नागरिक संहिता से महिलाओं को ज्यादा लाभ मिलेगा
समान नागरिक संहिता में जो प्रावधान किए गए हैं, उनसे सबसे अधिक महिलाओं को लाभ होगा। जाति धर्म से इतर महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त होंगे। कृषि भूमि में भी महिलाओं को बराबरी का हिस्सा मिलेगा। धर्म विशेष की महिलाओं की विवाह, विवाह विच्छेद वह बच्चों को गोद लेने की स्वतंत्रता भी मिलेगी।इसके अलावा विवाद के बगैर ही समाज में सहवासी के रूप में रहने वाले नागरिकों के पंजीकरण से उनसे पैदा होने वाली संतानों को सामाजिक व विधिक संरक्षण मिलेगा।
लिव इन के विवाद होंगे कम
सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। इसमें वर्ग विशेष की महिलाओं को लाभ मिलेगा। सबसे अच्छी बात है कि लिविंग रिलेशनशिप का भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है। ऐसे में इस तरह के रिश्तों की बाद जो विवाद होते थे उनमें कमी आएगी। इस रिश्ते से यदि कोई संतान होती है तो उसे भी हक मिलेगा।
Conclusion:-
विधेयक का प्राथमिक उद्देश्य यह है कि राज्य के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, भूमि,संपत्ति विरासत,और कानून में समान अधिकार मिलेगा। इसके साथ ही बेटी और बेटे दोनों के लिए संपत्ति में समान अधिकार सुनिश्चित किया गया है। कुल मिलाकर उत्तराखंड में बन रहा नया कानून संविधान के नजरिये से पूरे देश के लिए नजीर साबित हो सकता है,जिससे प्रेरणा लेकर एक देश एक कानून के तहत Uniform Civil Code Bill को पूरे देश में जल्द लागू करने की जरूरत है।
FAQ
Q.1 समान नागरिक संहिता किन पर लागू होगा ?
राज्य के मूल निवासी व स्थायी निवासियों पर। राज्य सरकार या उसके किसी उपक्रम के स्थायी कर्मचारी, केंद्र या उसके किसी उपक्रम के राज्य में तैनात स्थाई कर्मचारी, राज्य में कम से कम 1 वर्ष निवास कर रहे व्यक्ति, राज्य या केंद्र की योजनाओं के लाभार्थी जिसने राज्य निवास होने का लाभ लिया हो।
Q. 2 समान नागरिक संहिता से आदिवासियों को बाहर क्यों रखा गया है ?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड 25, सहपठीत अनुच्छेद 342 के अंतर्गत तथा अनुसूची 6 के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है।
Q.3 समान नागरिक संहिता में विवाह की आयु में कोई परिवर्तन क्यों नहीं किया गया है ?
मुस्लिम वर्ग के अतिरिक्त सभी वर्गों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु लड़कियों के लिए 18 वर्ष लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है। मुस्लिम वर्ग के लिए न्यूनतम आयु उसकी मासिक धर्म प्रारंभ होने से मानी जाती है।अब सबके लिए यह आयु समान होगी।
Q.4 अगर कोई विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगा तो क्या वह निरस्त होगा?
ऐसा विवाह निरस्त नहीं माना जाएगा बल्कि उस पर समान नागरिक संहिता के प्रावधानों के तहत दंडात्मक कार्रवाई होगी।
Q.5 तलाक के लिए समान नागरिक संहिता में क्या तरीका होंगे ?
बिना न्यायिक प्रक्रिया अपनाये कोई भी विवाह विच्छेद नहीं कर सकेगा। ऐसे करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
